क्या बच्चों को उनके ऑटिज़म के बारे बताना ठीक है? (विडियो की यूट्यूब लिंक के साथ)
MMS Staff
22 Jul 2024
3-min read
अक्सर जब बच्चों का ऑटिज़म, डिस्लेक्सिया या किसी अन्य स्थिति के साथ निदान होता है, तो माता-पिता उन्हें उनके निदान के बारे में बताने से हिचकिचाते हैं। यह सवाल अक्सर उठता है कि क्या बच्चों को उनकी स्थिति के बारे में जानकारी देना सही होगा या नहीं।
निदान के महत्व को समझना
बच्चों को उनके निदान के बारे में बताने से पहले, यह समझना जरूरी है कि निदान के बारे में जानकारी क्यों महत्वपूर्ण है। जब बच्चे अपनी स्थिति के बारे में जानते हैं, तो वे अपनी चुनौतियों और क्षमताओं को बेहतर समझ सकते हैं। यह समझ उन्हें आत्मविश्वास और आत्म-स्वीकृति में वृद्धि देती है।
व्यक्तिगत अनुभव और सामुदायिक उदाहरण
हाल के वर्षों में कई ऐसे उदाहरण सामने आए हैं जहां लोगों ने देर से निदान होने के बाद अपने जीवन में महत्वपूर्ण बदलाव देखे हैं। अदिति गंगराड़े (मच मच मीडिया की फ़ाउंडर) बताती हैं कि उन्हें 24 साल की उम्र में ऑटिज़म और ADHD के बारे में पता चला। इससे पहले वे हमेशा यह सोचती थी कि वे बाकी लोगों से अलग क्यों हैं और चीजें सामान्य तरीके से क्यों नहीं कर पाती। निदान के बाद उन्हें अपने सवालों के जवाब मिले और उन्होंने खुद को समझने और स्वीकारने का नया रास्ता अपनाया।
देरी से निदान के नकारात्मक प्रभाव
कई लोगों के अनुभवों से यह भी पता चलता है कि अगर उन्हें पहले अपने निदान के बारे में पता होता, तो वे अपने जीवन में बेहतर निर्णय ले पाते। देर से निदान के कारण कई बार बच्चों को उनकी परिस्थितियों से निपटने के लिए आवश्यक समर्थन और संसाधन नहीं मिल पाते।
जागरूकता की कमी और सामाजिक चुनौतियाँ
दूसरी ओर, यह भी सच है कि ऑटिज़म और ADHD जैसी स्थितियों के बारे में जागरूकता और समझ बहुत कम है। जिन लोगों को अपने ऑटिज़म के बारे में पहले पता चला, उन्हें समाज के नकारात्मक व्यवहार और सीमित सोच का सामना करना पड़ा। माता-पिता अक्सर अपने बच्चों को उनकी विकलांगता के बारे में न बताने का निर्णय इस डर से लेते हैं कि लोग उनके बच्चे के प्रति बुरा व्यवहार कर सकते हैं।
निदान के बारे में बताने के लाभ
हालांकि, ऑटिज़म, ADHD, या किसी भी neurodivergent स्थिति में होना कोई बुरी बात नहीं है। यह सच है कि इन स्थितियों के साथ चुनौतियाँ आती हैं, लेकिन बच्चों को उनकी स्थिति के बारे में न बताने पर भी ये चुनौतियाँ बनी रहती हैं। इसके विपरीत, अगर बच्चे अपनी स्थिति के बारे में जानते हैं, तो वे इन चुनौतियों से निपटने के लिए बेहतर तरीके से तैयार हो सकते हैं।
सही समय और तरीका
बच्चों को उनके निदान के बारे में बताने का सही समय और तरीका महत्वपूर्ण है। इस निर्णय को लेने से पहले माता-पिता को पेशेवरों से सलाह लेनी चाहिए, जैसे कि विकासात्मक बाल विशेषज्ञ, अन्य माता-पिता जिनके बच्चे ऑटिस्टिक हैं, या ऑटिस्टिक वयस्क। इन सभी लोगों से परामर्श लेने के बाद ही निर्णय लेना चाहिए।
जब माता-पिता को लगे कि समय और परिस्थिति सही है, तो यह निर्णय लेना फायदेमंद हो सकता है। इससे बच्चों को उनके जीवन में स्पष्टता मिलेगी और वे अपनी पहचान को बेहतर ढंग से समझ पाएंगे। हालांकि, दूसरों को बताने का फैसला बच्चों पर निर्भर करेगा कि वे अपनी स्थिति को साझा करना चाहते हैं या नहीं।
समर्थन और मार्गदर्शन
दोनों ही स्थितियों में, माता-पिता को अपने बच्चों के साथ खड़ा रहना होगा। यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि बच्चे को हर स्थिति में उनका समर्थन और मार्गदर्शन मिले।
अंत में, बच्चों को उनकी स्थिति के बारे में बताने का निर्णय एक संवेदनशील और महत्वपूर्ण निर्णय है। इससे बच्चों को आत्म-स्वीकृति और आत्मविश्वास मिलता है और वे अपनी चुनौतियों का सामना करने में सक्षम होते हैं।
अगले कदम
अगर माता-पिता यह निर्णय ले चुके हैं कि वे अपने बच्चे को उनके ऑटिज़म या अन्य neurodivergence के बारे में बताना चाहते हैं, तो उन्हें यह भी जानना चाहिए कि इस बारे में बात करते वक्त किन चीजों का ख्याल रखना चाहिए। हमारे अगले यूट्यूब विडीओ में हम इस पर चर्चा करेंगे कि बच्चों को उनकी स्थिति के बारे में किस तरह से बताया जा सकता है और इस बातचीत को कैसे संवेदनशील और प्रभावी बनाया जा सकता है।
यह लेख को आप विडीओ के रूप में देख सकते हैं:
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